Padma Shri Para Archer Harvinder Singh: अपनी पत्नी और पिता को राष्ट्रपति भवन ले जाना चाहते हैं

Harvinder Singh, जो इस समय दुनिया के नंबर 1 परा आर्चर हैं, हाल ही में अपने जीवन के सबसे बड़े सम्मान – पद्म श्री – से सम्मानित हुए हैं। उनका यह सफर जितना प्रेरणादायक है, उतना ही दिल छूने वाला भी। जब उन्होंने अपनी इस सफलता की खबर सबसे पहले अपनी पत्नी और पिता को दी, तो उनका ख़ुशी से चेहरा देखने लायक था। यह कहानी सिर्फ उनके खिलाड़ी बनने की नहीं, बल्कि एक इंसान की संघर्षों और सपनों को हासिल करने की है।

Padma Shri से सम्मानित होने का सपना

यह सब 25 जनवरी को उस खास दिन हुआ जब हरविंदर को पद्म श्री मिलने की खबर मिली। इस सम्मान के मिलने के बाद, उन्होंने सबसे पहले अपनी पत्नी, मनप्रीत कौर, को ये खुशखबरी दी। उनकी पत्नी ने भी खुशी से कहा, “मैं तुम्हारे साथ राष्ट्रपति भवन चलूंगी जब तुम पद्म श्री प्राप्त करोगे।””जब मैंने अपने पिता को बताया, तो वह भी बहुत खुश हुए।” हरविंदर कहते हैं, “सच कहूं तो मैं चाहता हूं कि मेरे पिता और पत्नी दोनों राष्ट्रपति भवन में मेरे साथ हों। मैं किसी एक को नहीं चुनना चाहता, क्योंकि दोनों ही मेरे लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।”

उनकी यात्रा: एक किसान परिवार से पद्म श्री तक

हरविंदर की यात्रा बहुत ही संघर्षपूर्ण रही है। हरियाणा के कैथल जिले में जन्मे हरविंदर का जीवन शुरू से ही मुश्किलों से भरा रहा। एक साल की उम्र में डेंगू बुखार के कारण उनकी टांगे लकवाग्रस्त हो गईं। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। अपने परिवार के समर्थन से उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने का मार्ग ढूंढा।”जब मुझे पद्म श्री का फोन आया, तो मैं पूरी तरह से यकीन नहीं कर पा रहा था। मैं जानता था कि एक दिन ये सम्मान मुझे मिलेगा, लेकिन इस दिन का इंतजार था।” हरविंदर कहते हैं, “मेरे लिए यह केवल एक पुरस्कार नहीं, बल्कि मेरी यात्रा का एक बड़ा हिस्सा है।”

पेरालिंपिक में सफलता: टोक्यो और पेरिस

Harvinder Singh के लिए पेरालिंपिक एक महत्वपूर्ण मोड़ था। 2021 के टोक्यो पेरालिंपिक में उन्होंने कांस्य पदक जीता, और इसके बाद 2024 के पेरिस पेरालिंपिक में स्वर्ण पदक भी जीता। यह सफलता उनकी मेहनत और समर्पण का परिणाम थी।

“पेरिस पेरालिंपिक से पहले मैंने मुरलीकांत पेतकर पर आधारित फिल्म ‘चंदू चैंपियन’ देखी थी। वह मुझे बहुत प्रेरणादायक लगी। हर पेरालिंपिक एथलीट की कहानी अनोखी होती है, और मेरी कहानी में भी उतार-चढ़ाव रहे हैं।” हरविंदर का कहना है कि उनकी जीवन यात्रा को एक दिन लोग जरूर जानेंगे और उनसे प्रेरित होंगे।

बायोपिक के बारे में क्या सोचते हैं Harvinder Singh?

Harvinder Singh को लगता है कि उनकी जीवन यात्रा पर एक बायोपिक बननी चाहिए। उन्होंने कहा, “जैसे मुरलीकांत पेतकर की कहानी पर फिल्म बनी, वैसे ही मेरी कहानी भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी। मेरी ज़िन्दगी में भी बहुत संघर्ष है – मां का निधन, कोविड-19 का समय, और फिर धीरे-धीरे सब कुछ ठीक हुआ। जब सही समय आएगा, तो मेरी कहानी भी लोगों को प्रेरित करेगी।”

केंद्र सरकार की नीति पर विचार

Harvinder Singh, जो एक पीएचडी स्कॉलर भी हैं, का मानना है कि अगर सरकार से एक चीज मांगने का मौका मिलता, तो वह यह होगी कि हर राज्य में पेरालिंपिक और अन्य पैरा एथलीटों के लिए समान नीतियां बनाई जाएं। “यह भविष्य में आने वाले पैरा एथलीटों के लिए फायदेमंद होगा और भारत की रैंकिंग को भी बेहतर करेगा,” वह कहते हैं।

आगे क्या सोचते हैं हरविंदर सिंह?

Harvinder Singh की योजना अब भी बहुत आगे तक जाने की है। उनका सपना है कि वह सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि पूरे देश को पैरा खेलों में आगे बढ़ाने में मदद करें। वह खुद को एक प्रेरक मानते हैं और अपनी सफलता को दूसरों के लिए एक उदाहरण के रूप में देखना चाहते हैं।”मैं चाहता हूं कि अगले कुछ सालों में हमारे देश के और भी पैरा एथलीट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतें और भारत का नाम रोशन करें।” हरविंदर सिंह की यह इच्छा उनकी मेहनत और प्रेरणा का प्रतीक है।

Harvinder Singh का संदेश: संघर्ष और समर्पण

Harvinder Singh का जीवन यह सिद्ध करता है कि अगर आप अपने लक्ष्य को लेकर दृढ़ निश्चयी हैं, तो कोई भी मुश्किल आपके रास्ते में नहीं आ सकती। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि भले ही परिस्थितियाँ कैसी भी हों, मेहनत और समर्पण से हम अपनी मंजिल तक पहुँच सकते हैं।उनका यह सम्मान और उपलब्धियाँ न सिर्फ उन्हें, बल्कि पूरे देश को गर्व महसूस कराती हैं। हरविंदर के जैसी प्रेरणादायक कहानियां हमें यह बताती हैं कि अगर आप सही दिशा में मेहनत करें, तो सफलता निश्चित रूप से मिलेगी।

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