P Jayachandran: 80 वर्षीय भावा गायकी के उस्ताद का निधन | Tribute to Musical Legend

भारतीय संगीत जगत के दिग्गज P Jayachandran, जिन्हें उनके प्रशंसक प्यार से भावा गायकर कहते थे, ने 80 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। अपनी अनूठी गायकी और भावनात्मक अभिव्यक्ति के लिए प्रसिद्ध, जयचंद्रन ने 10 जनवरी को केरला के त्रिशूर स्थित एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनकी मृत्यु ने भारतीय सिनेमा और संगीत प्रेमियों के दिलों को गहरा आघात पहुंचाया है।

P Jayachandran: एक अमूल्य संगीत यात्रा

P Jayachandran का जन्म 3 मार्च, 1944 को केरल के एर्नाकुलम जिले में हुआ। वे त्रिपुनिथुरा कोविलाकम के रवि वर्मा कोचनीयन थंपुरान और चेंदमंगलम पालयम हाउस की सुबद्रा कुंजम्मा के पुत्र थे।

उनकी संगीत यात्रा स्कूल के दिनों से शुरू हुई। उन्होंने मृदंगम बजाने और शास्त्रीय संगीत गाने में अपनी रुचि दिखाई। 1958 के राज्य स्तरीय स्कूल कला उत्सव में उन्होंने मृदंगम प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसी उत्सव में उनकी मुलाकात प्रसिद्ध गायक के. जे. येसुदास से हुई, जो उनके मित्र और प्रेरणा बने।

संगीत करियर की शुरुआत

P Jayachandran का संगीत करियर तब शुरू हुआ जब निर्माता शोभना परमेश्वरन नायर और निर्देशक ए. विन्सेंट ने चेन्नई में उनके संगीत प्रदर्शन को देखा। उन्होंने उन्हें फिल्म “कुंजाली मरक्कर” (1965) में “ओरु मुल्लप्पू मलयुमायि” गाने का मौका दिया।
हालांकि उनकी पहली रिलीज़ हुई गाना “मंजलयिल मुनगिथोरथी” फिल्म “कलिथोजन” में था। यह गाना उनके करियर का मील का पत्थर साबित हुआ।

16,000 से अधिक गानों का सफर

P Jayachandran ने अपने करियर में 16,000 से अधिक गाने गाए। उन्होंने मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, और हिंदी में गाने गाए और हर भाषा में अपनी गायकी का लोहा मनवाया।

उनके कुछ प्रसिद्ध गाने:

  • “शिव शंकरा शरणा सर्व विभो” (श्री नारायण गुरु)
  • “रासाथी उन्ना कानाथा” (वाइदेही काथिरुंदल)

भावा गायकी के प्रतीक

पी. जयचंद्रन को भावा गायकी का उस्ताद कहा जाता था। उनके गानों में प्यार, तड़प, भक्ति, और उदासी जैसी भावनाएं बड़ी गहराई से झलकती थीं। उनकी गायकी में एक ऐसा जादू था जो सीधे दिल को छू जाता था।

पुरस्कार और सम्मान

उनकी असाधारण गायकी ने उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा:

  • राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक)
  • केरल सरकार का जे. सी. डेनियल पुरस्कार
  • केरल राज्य फिल्म पुरस्कार (5 बार)
  • तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार (2 बार)

उनका गीत “शिव शंकरा शरणा सर्व विभो” उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ।

व्यक्तिगत जीवन

पी. जयचंद्रन अपने पीछे पत्नी ललिता, बेटी लक्ष्मी और बेटे दिननाथन को छोड़ गए हैं। उनका बेटा दिननाथन भी एक गायक हैं।

समाज और संगीत जगत की श्रद्धांजलि

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा:

“जयचंद्रन ने अपनी अनूठी आवाज़ से पूरे भारत के लोगों का दिल जीता। उनके गाने समय और स्थान की सीमाओं को पार कर गए।”

विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन ने उन्हें श्रद्धांजलि दी:

“उनकी गायकी में जो अनोखापन था, वह उन्हें हमेशा यादगार बनाएगा।”

संगीतकार इलैयाराजा ने कहा:

“जयचंद्रन के बिना संगीत की दुनिया अधूरी लगेगी।”

P Jayachandran का अंतिम संस्कार और अंतिम दर्शन

जयचंद्रन का पार्थिव शरीर शुक्रवार को त्रिशूर स्थित उनके निवास पर लाया जाएगा। अंतिम दर्शन के लिए इसे साहित्य अकादमी हॉल में रखा जाएगा। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को चेंदमंगलम में उनके पैतृक निवास पर किया जाएगा।


P Jayachandranकी विरासत

P Jayachandran की मृत्यु भारतीय संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी आवाज़ ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया और संगीत प्रेमियों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी।
उनकी गायकी सिर्फ एक कला नहीं थी, बल्कि यह भावनाओं और जज्बातों का समंदर थी।

निष्कर्ष

P Jayachandran जैसे कलाकार सदियों में एक बार आते हैं। उनका जाना एक युग के अंत जैसा है। लेकिन उनके गाने और उनका संगीत हमेशा हमारे साथ रहेगा। उन्होंने हमें सिखाया कि संगीत केवल सुनने की चीज नहीं, बल्कि महसूस करने का माध्यम है।

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